केपी रिपोर्टर,निभा झा
जनकपुर, ६ असार । प्रतेक बर्ष आषाढ शुक्ल पूर्णिमा यानी आइएके दिन अपन अपन गुरुके स्मरण क, भक्ति एबं श्रद्धापूर्वक गुरु पूर्णिमा मनाओल जाएत अछि ।
सँस्कृत शब्द गुरुके शाब्दीक अर्थ “गू ” के अर्थ अन्धकार आ”रु” के अर्थ प्रकाश होईत अछि । गुरु शब्दके बिग्रह केलाकबाद गिरैत अज्ञान इतिस्गुरु अर्थात अज्ञानके हटाक ज्ञान प्रदान करबला ब्यक्ती गुरु होईत अछि ।
स्वंयमके शिक्षा प्रदान करबला गुरुके सम्मानमे शिष्यसब विभिन्न मिष्ठान भोजनके साथ श्रद्धाभाब प्रकट करबाक परम्परा रहि आएल गुरुके माता पिताक दर्जा देबाक प्रचलन सेहो अछि ।
अहि अवसरपर एतिहासीक एबं धार्मीकनगरी जनकपुरधामक पवित्र सरोवर गंगा सागर लगायत विभिन्न सरोवार सबमे स्नान क, जानकी मनदिर लगाएत मठ( मन्दिरमे भिनसरे सँ पुजापाठ करबाक लेल श्रद्धालु भक्क्तजनके भिड लागल छल ।
परिवर्तनशिल समय संगही प्रयोगमे आएल समाजिक सञ्जालक विभिन्न माध्यम सँ सेहो गुरुके स्मरण ब्यापक रूपमे कएल देखल जासकैत अछि ।